लॉकडाउन से देश की रफ्तार हुई धीमी, लेकिन भारतीय युवाओं की सेहत सुधरी
कोरोना वायरस के चलते देशभर में हुए लॉकडाउन ने देश की रफ्तार धीमी कर दी है। लेकिन भारतीय युवाओं के स्वास्थ्य के लिए यह फायदेमंद भी रहा है। लॉकडाउन के दौरान युवा घर में रहे और आराम किया, जिससे उनकी दिल की धड़कन की रफ्तार धीमी रही है।
एक निजी फिटनेस ट्रैकिंग ब्रांड के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 18 से 29 साल की युवतियों के रेस्टिंग हार्ट रेट में प्रति मिनट 2.56 की गिरावट रही। इसी उम्र के युवकों की रेस्टिंग हार्ट रेट में प्रति मिनट 2.35 की गिरावट रही। आंकड़ों के हिसाब से यह काफी बड़ा बदलाव माना जा रहा है। रेस्टिंग हार्ट रेट वह आंकड़ा है, जिसमें आराम की स्थिति में दिल धड़कता है। इससे व्यक्ति की फिटनेस और उसके दिल के स्वस्थ होने का पता चलता है।
इसके जरिए विभिन्न बीमारियों का असर, उच्च तनाव का स्तर, नींद की परेशानी, डिहाइड्रेशन और सेहत संबंधी अन्य परेशानियों का पता लगाने में भी मदद मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान लोगों को पर्याप्त नींद मिलने, तनाव और थकान में कमी आने से इसमें सुधार देखने को मिला है।
आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान देश में हर व्यक्ति के सोने का वक्त औसतन 14 मिनट तक बढ़ा। भारत के अलावा मेक्सिको, स्पेन, फ्रांस और सिंगापुर के लोगों के दिल की सेहत में सबसे ज्यादा सुधार देखने को मिला है। वहीं स्वीडन में इसमें गिरावट रही है, जबकि ऑस्ट्रेलिया में मामूली सुधार दर्ज हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य दिनों में भारतीय बिस्तर पर औसतन 7.7 मिनट कम गुजार रहे थे। यानी वे कम आराम कर पा रहे थे और नींद में भी कमी आ रही थी। लॉकडाउन के दौरान तमाम भारतीय घर पर रहे और वर्क फ्रॉम होम किया जिससे उनकी सेहत में सुधार हुआ।