कोरोना टेस्ट के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की नई तकनीक तैयार, 2-3 दिन में 50 हजार सैंपल की हो सकेगी जांच
कोरोना वायरस को लेकर भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। अभी तक दुनिया भर में वायरस की जांच के लिए आरटी पीसीआर को ही सबसे भरोसेमंद माना जा रहा था, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने जांच का एक और तरीका ईजाद कर लिया है। पहली बार एक ऐसी तकनीक को विकसित किया गया है जिसके जरिए वायरस का फैलाव कम समय और कम खर्च में पता लगाया जा सकता है।
इसे दुनिया की सबसे तेज जांच भी बताया जा रहा है। हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी (सीसीएमबी-सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने आरएनए जांच के लिए आरटी पीसीआर की मोडिफाईड तकनीक का पता लगा लिया है।
टीई बफर तकनीक के जरिए आरटी पीसीआर की जांच में करीब आधा समय ही लगता है। वर्तमान में एक सैंपल की आरटी पीसीआर जांच के लिए करीब दो से तीन घंटे लैब में लग जाते हैं। यह नई तकनीक न सिर्फ 40 फीसदी सस्ती पड़ेगी, बल्कि 20 फीसदी ज्यादा प्रभावी परिणाम भी मिल सकते हैं।
सीसीएमबी के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक से जुड़ी तमाम जानकारी आईसीएमआर को भेजी जाएगी, जिसके बाद इस पर आगे काम शुरू होगा। हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल मरीज की जांच में न करते हुए बड़े स्तर पर वायरस का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
इसमें भी गले और नाक से स्वैब लेने के बाद उनका आरएनए परीक्षण किया जाता है। दिल्ली आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर काफी तेजी से काम चल रहा है। अगले एक से डेढ़ सप्ताह में इस प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जा सकता है।