विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी मामले में बैंकों को मिले 18 हजार करोड़ रुपये

राष्ट्रीय समाचार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आज बताया कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की जब्त संपत्ति से बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने यह जानकारी दी। इस दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रावधानों का बचाव किया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस पर लंबी सुनवाई कर रहा है। धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों में 67,000 करोड़ रुपये के मामलों के केस सुप्राीम कोर्ट में लंबित हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी मामले में इनकी संपत्तियां जब्त कर बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये लौटाए गए हैं। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और सीटी रवि कुमार की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखा। तुषार मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 4,700 पीएमएलए मामलों की जांच की जा रही है। पिछले पांच सालों में हर साल जांच के लिए उठाए गए मामलों की संख्या बढ़ रही है। साल 2015-16 में 111 मामले थे जबकि 2020-21 में यह 981 तक पहुंच चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें पीएमएलए के तहत अपराध की आय की तलाशी, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती दी गई है। कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने हाल के पीएमएलए संशोधनों के संभावित दुरुपयोग से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलीलें दी हैं। कड़ी जमानत शर्तों, गिरफ्तारी के कारणों की सूचना न देना, ईसीआईआर (एफआईआर के समान) कॉपी दिए बिना गिरफ्तारी, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा और अपराध की आय, जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए बयान को ट्रायल में बतौर सबूत मानने जैसे कई पहलुओं को लेकर इस कानून की आलोचना की गई है। इस संबंध में 200 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान ऐसे अपराधों के लिए 33 लाख एफआईआर दर्ज हुईं लेकिन पीएमएलए के तहत केवल 2,086 मामलों की जांच की गई। ब्रिटेन में 7900, अमेरिका में 1532, चीन में 4691, ऑस्ट्रिया में 1036, हांगकांग में 1823, बेल्जियम में 1862 और रूस में 2764 मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत सालाना मामले दर्ज किए गए हैं। इनकी तुलना में भारत में पीएमएलए के तहत जांच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं।


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