रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, आम लोगों को सस्ती EMI के लिए करना होगा इंतजार : RBI

राष्ट्रीय समाचार

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज समाप्त हो गई है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समिति द्वारा लिए गए फैसलों की घोषणा की। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। ऐसे में केंद्रीय बैंक द्वारा किए गए ऐलान अहम हैं। आम बजट 2021-22 पेश होने के बाद यह एमपीसी की पहली समीक्षा बैठक थी। मालूम हो कि पिछली तीन मौद्रिक समीक्षा बैठकों में एमपीसी ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 में नीतिगत दरों संशोधन किया था।

प्रमुख बातें
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों का आभार प्रकट किया।
आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया है। यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है।
दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है।
मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी (MSF) रेट भी 4.25 फीसदी पर है।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को ‘उदार’ बनाए रखा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 में देश की जीडीपी में 10.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है। बजट में यह 11 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था।
उन्होंने बताया कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत हैं। ग्रोथ से जुड़े परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस समय वृद्धि को बढ़ावा देने को जारी रखने की जरूरत है।
शक्तिकांत दास ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में महंगाई दर 5.2 फीसदी तक रह सकती है। 
वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा महंगाई दर से जुड़े पूर्व के 5.8 फीसदी के अनुमान को संशोधित कर 5.2 फीसदी से पांच फीसदी किया गया है।
गवर्नर ने इस बात पर संतोष जताया कि महंगाई दर छह फीसदी के टॉलरेंस लेवल के नीचे है। 
दूसरी तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में कैपिसिटी यूटिलाइजेशन पहली तिमाही की तुलना में सुधार के साथ 63.3 फीसदी पर रही। पहली तिमाही में यह आंकड़ा 47.3 फीसदी था। 
पिछले कुछ महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) निवेश में बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह घरेलू अर्थव्यवस्था में फिर से मजबूत हो रहे विश्वास को दिखाता है।
बजट में हेल्थ और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है: शक्तिकांत दास
शक्तिकांत दास ने कहा कि टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (टीएलटीआरओ) के जरिए बैंकों से एनबीएफसी के लिए फंड उपलब्ध होगा।
खुदरा डायरेक्ट प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जाएगा, जिससे खुदरा निवेशकों को G-Sec बाजार में सीधा एक्सेस मिलेगा। प्राइमरी अर्बन सहकारी बैंकों को मजबूत करने के लिए एक्सपर्ट पैनल का गठन किया जाएगा: आरबीआई गवर्नर।
खुदरा निवेशक अब सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश और ट्रेडिंग के लिए सीधे केंद्रीय में अपना खाता खुलवा सकते हैं।
आरबीआई जल्द ही इस प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा। आरबीआई प्रमुख ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जहां खुदरा निवेशकों की सरकारी बॉन्ड तक सीधी पहुंच है।
डिजिटल पेमेंट सिस्टम के आउटसोर्सिंग के लिए आरबीआई दिशानिर्देश जारी करेगा।
दास ने कहा कि, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई वित्त वर्ष 2021-22 में हो जाएगी।’
केंद्रीय बैंक ने तीन मौजूदा ओम्बड्समैन स्कीम को आपस में जोड़ने और एक सेंट्रलाइज्ड स्कीम बनाने का फैसला किया है। इसे जून 2021 में शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) को दो चरणों में रिस्टोर किया जाएगा। पहले चरण में 27 मार्च से 3.5 फीसदी का सीआरआर प्रभावी होगा। वहीं दूसरे चरण में 22 मई 2021 से चार फीसदी का सीआरआर लागू होगा।
रिजर्व बैंक ने कहा कि चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस), जो वर्तमान में देश के प्रमुख क्लीयरिंग हाउस में लागू है, सितंबर 2021 तक देश की सभी शाखाओं में लागू हो जाएगा।
केंद्रीय बजट 2021 के बाद पहली मौद्रिक नीति बैठक को संबोधित करते हुए, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लगभग 18,000 बैंक अभी भी चेक ट्रंकेशन सिस्टम के अधीन नहीं हैं।
 


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