भारतीय सीमा के नजदीक चीन ने तीन सालों में एयरबेस, एयर डिफेंस और हेलीपोर्ट की संख्या दोगुनी की: रिपोर्ट

राष्ट्रीय समाचार

चीन ने 2017 के दोकलम में हुए गतिरोध के बाद से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपने हवाई अड्डों, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलिपोर्ट्स की संख्या को दोगुना से ज्यादा बढ़ा दिया है, जो भविष्य में भारत के साथ सीमा विवादों में सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के उसके इरादे का संकेत देता है। एक प्रमुख वैश्विक भू-राजनीतिक इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म ने अपनी एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

Stratfor (स्ट्रैटफोर) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग के सैन्य बुनियादी ढांचे के विस्तार से भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के हालिया गतिरोध के बाद भी लंबे समय तक क्षेत्रीय तनाव का कारण बन रहा है। इन सैन्य ढांचों का भारत की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ सकता है।
Stratfor के वरिष्ठ ग्लोबल एनालिस्ट सिम टैक की इस रिपोर्ट में चीन के सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण को सैन्य सुविधाओं की सैटेलाइट इमेज के विस्तृत विश्लेषण के जरिए रेखांकित किया गया है। रिपोर्ट में उन्होंने कहा, “सीमा पर चीनी सैन्य सुविधाओं के निर्माण की टाइमिंग यह बताती है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख में चला रहा गतिरोध चीन द्वारा बॉर्डर पर तनाव बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का एक हिस्सा है ताकि वह सीमावर्ती क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर सके।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “गौर करने वाली बात है कि चीन की ओर से अपने सैन्य बुनियादी ढांचे में किया जा रहे उन्नयन (अपग्रेडेशन) को पूरा होने में अभी काफी समय है। ज्यादातर मामलों में सैन्य बुनियादी ढांचों के विस्तार और निर्माण का काम अभी चल रहा है। भारत की सीमा पर हम आज जो चीनी सैन्य गतिविधि देख रहे हैं वो सिर्फ एक दीर्घकालिक उद्देश्य की शुरुआत है।”

रिपोर्ट के मुताबिक चीन का भारतीय सीमा पर सैन्य बुनियादी ढांचा विकसित करने से क्षेत्रीय विवादों के लिए बीजिंग के दृष्टिकोण में बदलाव का पता चलता है। एक बार इन बुनियादी ढांचों के पूरा हो जाने पर चीन को इन क्षेत्रों में अपनी गतिविधि बढ़ाने में मदद मिलेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि, “2017 के दोकलम गतिरोध ने चीन के रणनीतिक उद्देश्यों को बदल दिया है, और चीन ने पिछले तीन वर्षों में भारतीय सीमा के पास अपने हवाई अड्डों, एयर डिफेंस पोजिशन और हेलिपोर्ट्स की कुल संख्या को दोगुना से अधिक किया है।”

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन भारतीय सीमा के नजदीक कम से कम 13 नई सैन्य पोजिशन का निर्माण कर रहा है। इसमें 3 एयर बेस, 5 स्थायी एयर डिफेंस पोजिशन और 5 हेलीपोर्ट्स शामिल हैं। हेलीपोर्ट हेलीकॉप्टर के उड़ान या उतरने के लिए तैयार किए जाना वाले स्थान को कहते हैं। इसमें कहा गया है कि इन नए हेलीपोर्ट्स में चार का निर्माण मई में लद्दाख गतिरोध के बाद शुरू किया गया है।

रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि भारत की सीमा के नजदीक चीन का सैन्य निर्माण उसकी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। जैसे चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पूर्ण विकसित एयरबेसों और नौसेना सुविधाएं विकसित की हैं। एशिया पैसिफिक के कई देशों ने चीन के इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया है कि यह इलाका उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।

भारत अमेरिका के साथ अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग में नौपरिवहन की आजादी का समर्थक है। इस साल मई में भारत ने कहा था कि, “दक्षिण चीन सागर ग्लोबल कॉमन्स का हिस्सा है और भारत की इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिहाज से दिलचस्पी है।” यह टिप्पणी चीन को परेशान करने वाली है क्योंकि वह भारत की अमेरिका के साथ करीबी रणनीतिक साझेदारी से चिंतित है। भारत के साथ सटी अपनी सीमा पर इसी तरह की रणनीतिक सैन्य बुनियादी ढांचा के विकसित करने के पीछे चीन का मकसद भविष्य में होने वाले सीमा विवादों के दौरान भारतीय प्रतिरोध या सैन्य कार्रवाई को हतोत्साहित करना और सैन्य संघर्ष के दौरान अपनी क्षमता को प्रदर्शित करना है।


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