गुजरात : मुस्लिम लड़की ने संस्कृत में की पीएचडी, धर्म पर कही दिल छू लेने वाली बात

राष्ट्रीय समाचार

गुजरात विश्वविद्यालय में एक मुस्लिम लड़की ने संस्कृत भाषा में पीएचडी की है। छात्रा का नाम सलमा कुरैशी बताया जा रहा है। संस्कृत में पीएचडी को लेकर सलमा से सवाल पूछे गए तो उन्होंने दिल छू लेने वाली बात कह दी। 

जानकारी के मुताबिक, सलमा कुरैशी ने संस्कृत में भारत की शिक्षक-शिष्य परंपरा के विषय पर रिसर्च की। उन्होंने अपनी थीसिस का शीर्षक ‘पूर्णनेशु निरुपिता शिक्षा पद्धति एकम आद्यायन’ रखा। 

बता दें कि सलमा कुरैशी गुजरात विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग की छात्र थीं। उन्होंने अतुल उनागर के मार्गदर्शन में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। बताया जा रहा है कि जब सलमा भावनगर विश्वविद्यालय से एमए कर रही थीं, तब उन्हें स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया था।

सलमा बताती हैं कि उन्होंने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने भावनगर विश्वविद्यालय से परास्नातक किया। वहीं, 2017 में वह गुजरात विश्वविद्यालय के पीएचडी कार्यक्रम में शामिल हुईं। उन्होंने तीन साल में अपना शोध पूरा किया। सलमा अध्यापन के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाना चाहती हैं। 

सलमा के मुताबिक, उन्होंने शिक्षक-शिष्य परंपरा पर शोध किया। इसके लिए उन्होंने वेदों, उपनिषदों और पुराणों का अध्ययन किया। सलमा बताती हैं कि मुझे स्कूल के समय से ही संस्कृत में काफी रुचि थी। इसकी वजह से मुझे वेद और पुराणों का अध्ययन करना भी पसंद था। उन्होंने बताया कि संस्कृत में पढ़ाई करने को लेकर घरवालों
ने कभी भी दबाव नहीं बनाया। 

जब संस्कृत में पीएचडी करने को लेकर सलमा से सवाल पूछे गए तो  उन्होंने कहा कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ संस्कृत में हैं और इसे देवताओं की भाषा माना जाता है। ऐसे में मेरा मानना है कि किसी भी भाषा का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता। छात्रों को इतनी आजादी जरूर मिलनी चाहिए कि वे जिस भी भाषा में पढ़ना चाहते हैं, उसे चुन सकें। प्राचीन काल में शिक्षक-शिष्य परंपरा के तहत छात्रों को समाज में सभी का सम्मान करना सिखाया जाता
था, लेकिन वर्तमान प्रणाली में यह नजर नहीं आता। 

भविष्य को लेकर सलमा ने कहा कि उनके हिसाब से संस्कृत अनिवार्य रूप से पढ़ाई जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने संस्कृत की शिक्षक बनने की इच्छा भी जाहिर की। सलमा ने कहा कि सरकार को इस संदर्भ में प्रयास करने चाहिए, जिससे संस्कृत भाषा आम लोगों तक पहुंच सके।

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