पेरिस जलवायु समझौते को पांच साल पूरे, जानें इसके प्रति भारत अपनी प्रतिबद्धता में कहां खड़ा है

राष्ट्रीय समाचार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 दिसंबर को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे।

इस वर्चुअल सम्मेलन की मेजबानी संयुक्त राष्ट्र और यूनाइटेड किंगडम करेंगे। पेरिस समझौता एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय संधि है, इसे 196 देशों  की ओर से अपनाया गया है और चार नवंबर 2016 से इसे लागू किया गया था। इन बिंदुओं से समझिए कि पेरिस समझौते के बारे में भारत की प्रतिबद्धता क्या है…
1. जी20 समिट में जलवायु परिवर्तन को लेकर एक बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत न केवल पेरिस समझौते में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा कर रहा है लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एकीकृत, व्यापक और समग्र तरीके का आह्वान करते हुए उन्हें पार कर रहा है।

2. जी20 समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत का लक्ष्य 2030 तक लगभग 260 लाख हेक्टेयर बंजर भूमि को उर्वर बनाना है।

3. पेरिस समिट से पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन वर्षों से होती आ रहीं गतिविधियों का नतीजा है और भारत इसके लिए कतई जिम्मेदारी नहीं है। दुनिया भर के कुल उत्सर्जन का 25 फीसदी अकेले अमेरिका में होता रहा है। वहीं यूरोप में 22 और चीन के हिस्से में 13 फीसदी उत्सर्जन है। वहीं भारत का उत्सर्जन में योगदान महज 3 फीसदी है। इसलिए हम जलवायु परिवर्तन के लिए किसी सूरत में जिम्मेदार नहीं हैं।

4. वर्तमान में, भारत वैश्विक उत्सर्जन में केवल 6.8 फीसदी योगदान दे रहा है और इसका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन केवल 1.9 टन है।

5. पेरिस समझौते के तहत भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान दो डिग्री है। 

6. मोदी सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय योजना के रूप में राष्ट्रीय साफ हवा कार्यक्रम, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, नमामि गंगे योजना को  शामिल किया है । 

7. पिछले पांच सालों में भारत के अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में भी 226 फीसदी की वृद्धि हुई है और ये अब बढ़कर 89  गीगा वाट यानी जीडब्ल्यू पर पहुंच गया है। 2030 तक भारत का लक्ष्य इसे 450 जीडब्ल्यू तक पहुंचाना है।

8. भारत को प्री- 2020 जलवायु परिवर्तन की प्रतिज्ञा पूरी करना है, जो 2010 में  की  गई थी। 

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