चीन को मुंहतोड़ जवाब की तैयारी, ‘आकाश’ से तोड़ेंगे ड्रैगन का दुस्साहस
पूर्वी लद्दाख का दो दिन दौरा करके लौटे सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भरोसा दिलाया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात भारत की सेना चीन के किसी भी आक्रमण या दुस्साहस को रोकने में पूरी तरह सक्षम और तैयार हैं। फेसऑफ पॉइंट पर दोनों देशों के सैनिक महज 500 मीटर की दूरी पर आमने-सामने हैं। भारतीय वायुसेना ने एलएसी पर अब आकाश मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम भी तैनात कर दिया है।
अब पूरे सेक्टर में एडवांस क्विक रिएक्शन वाला सरफेस-टू-एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम मौजूद है, जो चीन के किसी भी फाइटर जेट को कुछ सेकंड में ही तबाह कर सकता है। इसके अलावा सीमा पर भारत ने होवित्जर तोपों, पैदल सेना के वाहनों और करीब 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की भी तैनाती की है। वायुसेना ने मल्टीरोल कॉम्बैट मिराज-2000, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमान तैनात किए हैं, जो नियमित रूप से आसमान में गश्त कर रहे हैं। भारत मजबूत सैन्य ताकत के साथ अग्रिम क्षेत्रों में अच्छी तरह से तैनात और तैयार है।
गलवां घाटी क्षेत्र में पेट्रोलिंग पॉइंट-14 (खूनी संघर्ष वाली जगह) पर चीनी आर्मी अभी भी अड़ी है और भारतीय सैनिकों को श्योक और गलवां नदियों के संगम को पार नहीं करने की चेतावनी दे रही है। पहले चीन का फिंगर-8 में एक कैंप था, लेकिन फिर फिंगर-4 पर भी कब्जा जमा लिया।
एलएसी फिंगर आठ से होकर गुजरती है। फिंगर-4 के आगे का क्षेत्र चट्टानी होने से सिर्फ पैदल ही आया-जाया जा सकता है। इसलिए चीनी सैनिकों को फिंगर-4 तक आने में बड़ी मुश्किल होती थी। फिंगर-4 और फिंगर-3 के बीच भारत का मुख्य आधार शिविर है। ये क्षेत्र इतने करीब हैं कि भारत चीन के सैनिक 500 मीटर की दूरी पर हैं।
ऐसी खबर है कि चीन ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर हैलीपैड का निर्माण शुरू कर दिया है। इससे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। चीन के रुख से ऐसा लगने लगा कि वह इस इलाके में अप्रैल वाली यथास्थिति कायम करने का इच्छुक नहीं है।